मुख्यपृष्ठशायरी/गज़लकितना दुश्वार है दुनिया ये हुनर आना भी / वसीम बरेलवी कितना दुश्वार है दुनिया ये हुनर आना भी / वसीम बरेलवी 0 साहित्य सारथी नवंबर 26, 2024 कितना दुश्वार है दुनिया ये हुनर आना भीतुझी से फ़ासला रखना तुझे अपनाना भीऐसे रिश्ते का भरम रखना बहुत मुश्किल हैतेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी Tags शायरी/गज़ल और नया पुराने