"जिसे डर नहीं मौत का, वो क्या मरेगा, जो जी रहा हो हर एक साँस मर-मर के / राहत इंदौरी

"जिसे डर नहीं मौत का, वो क्या मरेगा,
जो जी रहा हो हर एक साँस मर-मर के।

कई बार चाकू की तेज़ धारों से कटे हैं,
पर अब हम सँभले हैं पत्थर के।"

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