मिली हवाओं में उड़ने की / वसीम बरेलवी
मिली हवाओं में उड़ने की वो सज़ा यारो के मैं ज़मीन के रिश्तों से कट गया यारो वो बेख़याल मुसाफ़िर मैं रास्ता यारो कहाँ था…
नवंबर 26, 2024मिली हवाओं में उड़ने की वो सज़ा यारो के मैं ज़मीन के रिश्तों से कट गया यारो वो बेख़याल मुसाफ़िर मैं रास्ता यारो कहाँ था…
अलग नगर के कोलाहल से, अलग पुरी-पुरजन से, कठिन साधना में उद्योगी लगा हुआ तन-मन से। निज समाधि में निरत, सदा निज कर्मठता म…
'जय हो' जग में जले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को, जिस नर में भी बसे, हमारा नमन तेज को, बल को। किसी वृन्त पर खिले वि…
प्रथम सर्ग रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 1 रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 2 रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 3 रश्मिरथी / प्रथम स…
धीरे धीरे उतर क्षितिज से आ वसन्त-रजनी! तारकमय नव वेणीबन्धन शीश-फूल कर शशि का नूतन, रश्मि-वलय सित घन-अवगुण्ठन, मुक्ताह…
प्रिय इन नयनों का अश्रु-नीर! दुख से आविल सुख से पंकिल, बुदबुद् से स्वप्नों से फेनिल, बहता है युग-युग अधीर! जीवन-पथ का…
किन उपकरणों का दीपक, किसका जलता है तल? किसकी वर्ति, कौन करता इसका ज्वाला से मेल? शून्य काल के पुलिनों पर— आकर चुपके से …
चिर तृप्ति कामनाओं का कर जाती निष्फल जीवन, बुझते ही प्यास हमारी पल में विरक्ति जाती बन। पूर्णता यही भरने की ढुल, कर देन…
रजतरश्मियों की छाया में धूमिल घन सा वह आता; इस निदाघ के मानस में करुणा के स्रोत बहा जाता। उसमें मर्म छिपा जीवन का, एक…
क्यों इन तारों को उलझाते? अनजाने ही प्राणों में क्यों आ आ कर फिर जाते? पल में रागों को झंकृत कर, फिर विराग का अस्फुट …
किस सुधिवसन्त का सुमनतीर, कर गया मुग्ध मानस अधीर? वेदना गगन से रजतओस, चू चू भरती मन-कंज-कोष, अलि सी मंडराती विरह-पीर! …
कह सकते हो तुम कि चन्द्र का, कौन दोष जो ठगा चकोर? किन्तु कलाधर ने डाला है, किरण-जाल क्यों उसकी ओर? दीप्ति दिखाता यदि …
अरे, कौन है, वार न देगी, जो इस यौवन-धन पर प्राण? खाओ इसे न यों ही हा हा, करो यत्न से इसका त्राण। किसी हेतु संसार भार-…
पर मैं ही यदि परनारी से, पहले संभाषण करता, तो छिन जाती आज कदाचित् पुरुषों की सुधर्मपरता। जो हो, पर मेरे बारे में, बात…
यदि बाधाएँ हुईं हमें तो, उन बाधाओं के ही साथ, जिससे बाधा-बोध न हो, वह सहनशक्ति भी आई हाथ। जब बाधाएँ न भी रहेंगी, तब भ…
वैतालिक विहंग भाभी के, सम्प्रति ध्यान लग्न-से हैं, नये गान की रचना में वे, कवि-कुल तुल्य मग्न-से हैं। बीच-बीच में नर्…